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Thursday, October 8, 2009

"सतनाम की कमाई करो "




बिहार के नवादा शहर के गंघौली ग्राम में प्रात: 9 बजे से आयोजित एक अविस्मरणीय कार्यक्रम में महाराजी ने लगभग तीन लाख लोगों को सम्बोधित किया। इस अवसर पर प्रारंभ में संतों के सुंदर भजनों एवं कार्टून फिल्मों के माध्यम से मानव जीवन को सफल बनाने के लिए प्रेरणादायक संदेश दिया गया। एक दिन पूर्व की रात्रि से नवादा जिले के निकटवर्ती जिलों से कार्यक्रम में भाग लेने के लिए लोगों के आने का जो क्रम चालू हुआ वह कार्यक्रम प्रारंभ होने के बाद तक जारी रहा। कार्यक्रम में समाज के सभी वर्गों व स्तर केलोग मौजूद थे।

महाराजी ने अपने सम्बोधन में विभिन्न संतो के उद्धरणों को देते हुए समझाया कि इस जीवन को सफल बनाने के लिए आत्मज्ञान की जरूरत है। दुनिया में लोगों का यही दृष्टिकोण रहता है कि खाओ, पीओ और मौज उड़ाओ। लेकिन मेरा कहना है कि साथ ही सतनाम की कमाई भी करो, तभी जीवन में असली मौज उड़ाना संभव हो जाएगा। असली मौज तब मिलेगी जब आत्मज्ञान के द्वारा उस परमपिता परमेश्वर को जान जाओगे और अपने हृदय में उसका दर्शन करोगे।

महाराजी ने कहा कि मनुष्य ने भगवान को अलादीन के चिराग की तरह समझा हुआ है। वह अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान की भक्ति करता है। वह पुत्र, धन, वैभव, नौकरी आदि को पाने के लिए भगवान का आशीर्वाद चाहता है जबकि भगवान ने पहले ही उसे सबकुछ दे रखा है। सबसे बड़ा आशीर्वाद ये एक-एक स्वांस है जो बिना कुछ यत्न किए मनुष्य के अंदर आ रहा है और जा रहा है। क्या लोग जीवन में इस स्वांस की कीमत को समझते हैं?

महाराजी ने कहा कि इस संसार में कोई निर्धन नहीं है, सबके पास अनमोल हीरा है, पर हमें उसको पाने की विधि ज्ञात नहीं है, इसीलिए दुखी हैं। सद्गुरु से वह विधि जानकर हम अपने जीवन को पूरी तरह से सफल बना सकते हैं। महाराजी ने कहा कि मनुष्य को आत्मज्ञान की जरूरत है। गुरु के बिना ज्ञान नहीं होता है। छल कपट को त्याग कर, बालक का हृदय लेकर सद्गुरु से ज्ञान प्राप्त करना चाहिए।

महाराजी ने कहा कि मनुष्य अपनी कल्पना से भगवान को पाने की कोशिश करता है। जो अनंत, अनादि और सर्वत्र है, ऐसे सर्वशक्तिमान भगवान को वह अपनी कल्पना से कैसे पा सकता है?

भगवदगीता से उदाहरण देते हुए महाराजी ने कहा कि भगवान कृष्ण अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं कि तुम मुझे अपनी इन आंखों से नहीं देख सकते हो, मैं तुम्हें दिव्य चक्षु देता हूं। महाराजी ने कहा कि वह अविनाशी हंस प्रत्येक व्यक्ति के घट में मौजूद है, अगर उसे देखना चाहते हो तो ज्ञान की आवश्यकता है।

महाराजी ने वर्तमान अर्थ व्यवस्था की चिंताजनक दशा का वर्णन करते हुए कहा कि स्टॉक मार्केट डाउन हो गए हैं। ऐसी दशा में कितने ही लोगों ने निराश होकर आत्महत्या कर ली है। वहीं दूसरी ओर संतो ने आशा का संदेश दिया है कि वह भगवान जो आनंद का भंडार है, अलख है, अविनाशी है, हर एक प्राणी के घट में विराजता है, उसको जानकर मनुष्य अपना जीवन सफल कर सकता है। महाराजी ने कहा कि मेरा संदेश हर उस व्यक्ति के लिए है जो अपने जीवन को सफल बनाना चाहता है। अपने जीवन को जीते जी स्वर्ग बनाओ।
जीवन के गूढ़ तत्व को महाराजी ने बहुत ही सरल तरीके से अपने विशिष्ट अंदाज में इस तरह समझाया मानो वे वहां उपस्थित एक-एक व्यक्ति को सम्बोधित कर रहे हों।

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