जो सुख साध संग, सो बैकुंठ न होय : महाराजी
4 अप्रैल, 2009
मनुष्य का स्वभाव बन गया है कि वह अपनी जिंदगी को गंभीरता से नहीं लेता। भगवान ने उसे दो हाथ दिए लेकिन उस हाथ से मनुष्य बनाता भी है और बिगाड़ता भी है। मनुष्य को उस समय अपनी जिंदगी की कीमत का एहसास होता है, जब उसे पता चलता है कि अब उसके चंद दिन ही बचे हैं। सद्गुरु ज्ञान देकर मनुष्य को यह समझाने का प्रयास करते हैं कि हर दिन जो तुम्हारे जीवन में मिलता है वह परमात्मा का प्रसाद है। यही नहीं मनुष्य गलतफहमी में यह भी समझता है कि जीना उसका अधिकार है लेकिन उसे अपना हक यह समझना चाहिए कि हम इस जीवन में उस परम शांति का जो हमारे हृदय में स्थित है उसका अनुभव कर सकते हैं। यह नहीं कि हमें अपनी जिंदगी में कब क्या करना है और कितने साल जीना है। इसका हिसाब-किताब रखने के लिए न हमारे पास अधिकार हैं और न ही हम रख सकते हैं क्योंकि उस परमात्मा की योजना इस सृष्टि में पूरी होती है, न कि मनुष्य की।
ये विचार आज डिग्गी पावलिया में महाराजी ने 35 हजार से अधिक लोगों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। महाराजी ने ज्ञान प्राप्त लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सुख के लिए मनुष्य भटकता रहता है लेकिन संतो ने कहा कि असली सुख तो सद्गुरु की संगति है। ऐसा सुख तो बैकुंठ में भी नहीं मिलेगा। क्योंकि सद्गुरु ही तुम्हें सत्संग और ज्ञान अभ्यास के लिए प्रेरणा देते हैं। उन्होंने कहा कि कलियुग ऐसा युग है जिसमें सबकुछ उल्टा हो रहा है। यहां तक यदि भगवान कृष्ण इस युग में होते तो उनके खिलाफ भी लोग आंदोलन करते। लेकिन यह सच है कि कलियुग में भी तुम्हें ज्ञान मिल रहा है जिसकी चर्चा सब वेदों और धर्मग्रन्थों में है और जिनके बारे में कहा जाता है कि यह भगवान की वाणी है। महाराजी ने कहा कि उस ज्ञान का अभ्यास करो। समय की कमी का बहाना बनाने से काम नहीं चलेगा। जब तक तुम अपने लिए समय नहीं निकाल सकते तो समझो तुमने माया के पीछे सबकुछ बेच दिया। जो भगवान ने तुम्हें समय दिया है, उसे व्यर्थ गंवा दिया।
महाराजी ने कहा कि अमीर बनो परंतु नाम की कमाई भी करके हृदय से भी अमीर बनो। सत्संग, भजन और सेवा जो भी तुमसे बन पड़े करो जिससे गुरु महाराजी से तार जुड़ा रहे। जिंदगी में अनुशासन के महत्व के बारे में महाराजी ने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए डाक्टरों की सलाह है कि आहार-विहार समय पर होना चाहिए। उसी तरह सेवा, सत्संग और भजन के मामले में भी यदि थोड़ा-सा अनुशासन हो तो तुम्हारी जिंदगी बदल जाएगी।
महाराजी ने दोपहर में होली भी खेली। जयपुर में यह पहली होली थी। सभी ने महाराजी के साथ होली का भरपूर आनंद उठाया।
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